Saturday, January 3, 2015

Rishtein........

ज़िन्दगी की राह में  कई रिश्तें बनते है...
कुछ रिश्तें सदा साथ रहते हैं, कुछ बस तजुर्बा देके बिछड़ते हैं...
कुछ उलझते  है, कुछ सुलझते है, कुछ गिरकर फिर संभलते हैं..

कभी ये ख़ुशी देते है, कभी यही गम भी बन जाते हैं..
ज़िन्दगी की सतह पर अपने निशान पीछे छोड़ जातें हैं..

हर रिश्तें की अपनी पहचान हैं..
कुछ मैं ख़ुशी हैं, कुछ में  है ग़म , कुछ कभी घुटन से बन जाते  हैं...

कुछ में अलग  रास्तें होकर भी एक मंज़िल होती हैं..
कुछ में रास्ता एक होकर भी कभी मंजिले अलग बन जाती हैं..

रिश्तोंका  बनना , रिश्तोंका टूटना ज़िंदगी का उसूल हैं..
 जो हाथ थामे, मुस्कुराए, सफर सुहाना बनाते है, वही रिश्तें दिल के करीब रह जाते हैं..


3 comments:

  1. Very nicely written about relations...completely agree...Its something which can only be experienced and cannot be described.

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  2. Any relation is a combination of joy and sorrow; agreement and disagreement. रिश्ता कायम रखने के लिये जरूरी है उसका जैसे है वैसे स्वीकार

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