वो पत्तोंकी सरसराहट तेरी याद दिलाती है,
तेरी खुशबू के रूप में जैसे तुझे ढूंढ लाती है
कुछ पत्ते अभी भी हरे हैं ,पेड़ जिनसे भर गए है,
नीचे गीरे पुराने पत्तोंको मगर वो अब भूल गए है
उन टहनीयोंपे कैसे हम भी साथ साथ रहते थे,
सूरज की गर्मी हो,या बारिश की बूंदे हो,हम खुश थे
फिर जाने क्या बात हुई जो हमें यु पड़ा बीछडना,
क्या हर पत्ते के नसीब में होता है यु ही गिर जाना?
ज़मीन पे पता नहीं तेरा ठिकाना अब कहा रहता है,
इसीलिए शायद हर आहट में दिल तुझे ही ढूँढता है
कही दूर ही सही, मगर तू भी ज़मीन पे है ये अच्छा है,
क्यूंकि इसी मिटटी में मिलकर, कल हमें फिर से पेड़ पर साथ उगना है
तेरी खुशबू के रूप में जैसे तुझे ढूंढ लाती है
कुछ पत्ते अभी भी हरे हैं ,पेड़ जिनसे भर गए है,
नीचे गीरे पुराने पत्तोंको मगर वो अब भूल गए है
उन टहनीयोंपे कैसे हम भी साथ साथ रहते थे,
सूरज की गर्मी हो,या बारिश की बूंदे हो,हम खुश थे
फिर जाने क्या बात हुई जो हमें यु पड़ा बीछडना,
क्या हर पत्ते के नसीब में होता है यु ही गिर जाना?
ज़मीन पे पता नहीं तेरा ठिकाना अब कहा रहता है,
इसीलिए शायद हर आहट में दिल तुझे ही ढूँढता है
कही दूर ही सही, मगर तू भी ज़मीन पे है ये अच्छा है,
क्यूंकि इसी मिटटी में मिलकर, कल हमें फिर से पेड़ पर साथ उगना है
Hey this Poem is so beautiful!!!!!
ReplyDeleteAwesome!!!!!
Do post if you have more :-P